BA Semester-5 Paper-2B History - Socio and Economic History of Medieval India (1200 A.D-1700 A.D) - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.)

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2788
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण विजय का विवरण दीजिए। उसकी दक्षिणी विजय की सफलता के क्या कारण थे?

अथवा
अलाउद्दीन खिलजी की दक्षिण नीति का विस्तृत वर्णन कीजिए।

उत्तर -

अलाउद्दीन की दक्षिण विजय

अलाउद्दीन इस दिल्ली सल्तनत के काल में प्रथम व्यक्ति था, जिसने दक्षिण भारत को सल्तनत का अंग बनाने और दक्षिण को उत्तर भारत की राजनीति के सम्बद्ध करने के प्रति प्रतिबद्ध था। जब वह सुल्तान जलालुद्दीन के समय कड़ा-मानिकपुर और अवध का सूबेदार था, तभी उसने दक्षिण भारत पर आक्रमण किया और देवगिरि के यादव राजा रामचन्द्रदेव को सल्तनत के प्रति समर्पण करने के लिए बाध्य किया। उसके सुल्तान बनने में भी दक्षिण भारत की बहुत अहम् भूमिका थी। उसने देवगिरि की लूट में पाए गए धन का प्रयोग सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी की हत्या के बाद जनाक्रोश को समाप्त करने के लिए कच्चे माल की तरह किया। सुल्तान बनने में दक्षिण भारत की उपयोगी भूमिका के कारण अलाउद्दीन का सुल्तान बनने के बाद भी दक्षिण भारत के प्रति आकर्षण में कोई कमी नहीं आई। सुल्तान बनने के बाद वह उत्तर भारत में राजनीतिक गतिविधियों में व्यस्त हो गया था। सबसे पहले उसने गुजरात विजय किया। गुजरात में शासक रायकर्ण ने भागकर अपनी पुत्र देवल देवी के साथ देवगिरि के यादव शासकों के यहाँ शरण ली। यह राज्य पहले अलाउद्दीन के द्वारा हार चुका था, किन्तु उसने अलाउद्दीन के आदेश की अवमानना की, जिससे अलाउद्दीन ने देवगिरि के पुनर्विजय की योजना बनाई, किन्तु वह शीघ्र ही राजपूताना विजय में व्यस्त हो गया। उत्तर भारत के बाद उसने दक्षिण भारत में अपने योग्य सेनापति मलिक काफूर के नेतृत्व में सेना भेजी। तत्कालीन दक्षिण भारत में देवगिरि में यादव वंश, वारंगल में काकतीय वंश, मदुरा में पांड्य वंश प्रमुख शासक थे। उन्हें निम्नवत् समझा जा सकता है.

1. देवगिरि अभियान - सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी के शासनकाल में अलाउद्दीन खिलजी ने स्वयं अभियान कर देवगिरि को अधीनस्थ राज्य बनाया था। देवगिरि में यादववंशी रामचन्द्र देव का शासन था। रामचन्द्र देव में पूर्व में एलिचपुर की नियमित आय सुल्तान को भेजने का वायदा किया था, किन्तु रामचन्द्र देव का पुत्र शंकर देव या सिंघण ने इस कर अदायगी पर 1305 ई. में रोक लगा दी। इसका एक कारण अलाउद्दीन की आंतरिक व्यस्तताओं और उत्तर - पश्चिमी सीमा पर मंगोलों से उलझा होना भी माना जाता है किन्तु कारण कुछ भी हो यह सल्तनत को प्राप्त होने वाली नियमित आय में बाधा थी। यह आय अलाउद्दीन खिलजी की सल्तनत की सुदृढ़ता के लिए बहुउपयोगी थी, अतः वह इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता है। 1307 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने अपने नायब मलिक काफूर को देवगिरि विजय का लक्ष्य की पूर्ति के लिए भेजा। अलाउद्दीन खिलजी की पत्नी कमला देवी (यह पूर्व में गुजरात के राजा रायकर्ण की पत्नी थी, जिससे अलाउद्दीन ने गुजरात विजय के बाद विवाह कर लिया था) मलिक काफूर ने अपनी एकमात्र जीवित पुत्री देवलदेवी को वापस लाने का भी अनुरोध किया जो इस समय अपने पिता रायकर्ण के पास थी।

2. तैलंगाना - अभियान अलाउद्दीन खिलजी ने सुल्तान बनने के पूर्व भी तैलंगाना- विजय का प्रयास किया था, जिसमें वह असफल रहा था। सुल्तान बनने के बाद उसकी महत्वाकांक्षा में पुनः जाग्रति हुई। इस महत्वाकांक्षा में तीव्रता तब आई जब मलिक काफूर ने देवगिरि का मान- मर्दन किया। 1 नवम्बर, 1309 ई. को अलाउद्दीन ने मलिक काफूर को तैलंगाना विजय के लिए भेजा जैसाकि स्पष्ट था कि बाकी दक्षिणी राज्यों के लिए देवगिरि सल्तनत का सहायक सिद्ध होना चाहिए था, अतः काफूर ने सर्वप्रथम देवगिरि में आकर अपनी तैयारियों का पुनरीक्षण किया। राजा रामचन्द्रदेव ने भी रसद व अन्य सभी प्रकार की सामरिक सहायता की। मलिक काफूर ने तैलंगाना राज्य में प्रवेश के लिए बसीरागढ़ को तैलंगाना प्रवेश हेतु द्वार के रूप में चुना। मार्ग के कई नगरों में जीतता और लूटता हुआ वह जनवरी 1310 ई. को वारंगल के पास पहुँच गया और वारंगल के चारों ओर घेरा डाल दिया गया। वारंगल तैलंगाना की राजधानी की। वारंगल का किला तत्कालीन भारत के अजेय किलों में से एक था। इस किले के चारों तरफ एक पानी की गहरी खाई थी। किन्तु घेरा जितना लम्बा समय लेता गया वारंगल के राजा प्रताप रुद्रदेव की हिम्मत कमजोर पड़ने लगी। अंततः उसन काफूर के समक्ष आत्मसमर्पण का प्रस्ताव रखा। काफूर ने संधि प्रस्ताव को स्वीकार किया। प्रताप रुद्रदेव ने अधीनता स्वीकार करते हुए 100 हाथी, 700 घोड़े, और अतुल धनराशि के साथ-साथ विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा भी भेंट स्वरूप दिया। उसने सल्तनत को वार्षिक कर देना भी स्वीकार किया। काफूर एक हजार ऊँटों में लूट का सामान लादकर मार्च 1310 में उत्तरी भारत वापस लौटा।

3. होयसल अभियान - देवगिरि और तैलंगाना की विजयों और आर्थिक सम्पन्नता से अलाउद्दीन खिलजी सुदूर दक्षिण के राज्यों को जीतने का स्वन देखने लगा। उसके पास मलिक काफूर जैसा वीर व कुशल सेनानायक भी था। तैलंगाना- विजय के बाद शीघ्र ही कुछ माह बाद काफूर को पुनः दक्षिण के होयसल राज्य को जीतने के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई। 1311 ई. की फरवरी में काफूर देवगिरि पहुँच गया। देवगिरी के शासक रामचन्द्र देव ने पुनः सैन्य आर्थिक व अन्य हर प्रकार की सन्धियाँ प्रदान कीं। उसन अपने प्रमुख सेनापति परसराम को भी एक विशाल सेना के साथ, काफूर के साथ भेजा। होयसल में उस समय वीर बल्लाल तृतीय का शासन था। होयसलों के पड़ोस में पांड्य साम्राज्य था, जहाँ वीर पाण्ड्य और सुन्दर पाण्ड्य के मध्य उत्तराधिकार का युद्ध लड़ा जा रहा था। वीर बल्लाल भी लाभ प्राप्ति की इच्छा से वीर पाण्ड्य के पक्ष में सेना सहित राजधानी से बाहर गया था। इस स्थिति को अवसर जानकर काफूर ने होयसलों की राजधानी द्वार समुद्र को घेर लिया। वीर बल्लाल शीघ्र ही वापस आ गया। वीर पाण्ड्य ने भी उसकी सहायता के लिए सेनाएं भेजीं। कुछ छिटपुट सामरिक झड़पों के बाद वीर बल्लाल ने शीघ्र ही आत्मसमर्पण कर सन्धि करना स्वीकार कर लिया। उसने दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन की अधीनता स्वीकार कर ली और वार्षिक कर अदायगी की भी स्वीकृति की। काफूर को इस विजय से भी अपार सम्पत्ति, घोड़े और हाथी आदि प्राप्त हुए। काफूर से वीर बल्लाल ने पाण्ड्य राज्य को विजित करने में सहायता का भी आश्वासन दिया।

4. पाण्ड्य अभियान - जैसाकि पूर्व में उल्लेख किया गया है कि काफूर के सुदूर दक्षिण के इस सैन्य अभियान के दौरान पाण्ड्य साम्राज्य में गद्दी के लिए संघर्ष चरम पर था। यह सत्तासंघर्ष वीर पाण्य और सुन्दर पाण्ड्य नामक दो भाइयों के मध्य चल रहा था। कुछ इतिहासकारों का मत है कि सुन्दर पाण्ड्य ने स्वयं दिल्ली आकर अलाउद्दीन से दक्षिण आकर वीर पाण्ड्य के विरुद्ध उसकी मदद करने का आग्रह किया था। किन्तु यह सत्य प्रतीत नहीं होता और मलिक काफूर का यह अभियान दोनों राजकुमारों के विरुद्ध था, जो इस आक्रमण की भीषणता से ज्ञात होता है। होयसल विजय के कुछ समय बाद ही काफूर ने पाण्ड्य राज्य पर आक्रमण कर दिया। इन दोनों भाइयों में वीर पाण्ड्य अधिक सक्षम सैनिक और योग्य सेनानायक था। उसने गतिमान रहते हुए तुर्की सेना से आमने-सामने के युद्ध से स्वयं को बचाए रखा। उसने गुरिल्ला युद्ध जारी रखकर सल्तनत की सेना को अधिकाधिक क्षति पहुँचाने का कार्य किया। काफूर ने उसका निरन्तर पीछा किया। इसमें उसे धन तो निरन्तर प्राप्त होता रहा किन्तु वीर पाण्ड्य हाथ न लग सका। उसने दक्षिण के कई मन्दिरों को लूटा व नष्ट किया। कहा जाता है कि उसने रामेश्वरम् तक सैन्य अभियान किया, जोकि सर्वथा सत्य नहीं प्रतीत होता है। अंततः 1311 के अप्रैल माह में अपार धन-सम्पत्ति के साथ काफूर उत्तरी भारत वापस चला गया। वीर बल्लाल तृतीय भी काफूर के साथ दिल्ली आया जिसे अलाउद्दीन ने मान-सम्मान के साथ पुनः होयसल राज्य सौंप दिया।

5. देवगिरि का द्वितीय सैन्य अभियान - देवगिरि ने पुनः विद्रोह कर दिया। देवगिरि के शासक रामचन्द्रदेव का 1312 ई. में निधन हो गया। उसका पुत्र शंकरदेव उर्फ सिंघण सम्हाली जो काफी लम्बे समय से सल्तनत की अधीनता स्वीकार करने का घोर विरोधी था। उसने राजा बनते ही सल्तनत को दिया जाने वाला कर बन्द कर दिया। तैलंगाना के काकतीय शासक प्रताप रुद्रदेव ने भी कर देने में आनाकानी शुरू कर दी थी। अलाउद्दीन ने पुनः काफूर को सेना सहित दक्षिण भारत भेजा। 1313 ई. में काफूर ने सिंघण को हराकर मार डाला। काफूर ने देवगिरि के अधिकांश भाग को सल्तनत में मिला लिया। 1315 ई. तक काफूर ने तैलंगाना और होयसलों को अपने कोप का शिकार बना चुका था।

अलाउद्दीन की दक्षिण-विजय की सफलता के कारण - अलाउद्दीन खिलजी सल्तनत काल का प्रथम सुल्तान था जिसने दक्षिण भारत को विजित करने की योजना बनाई व उसे सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया। उसने दक्षिण के राज्यों को सीधे नियन्त्रण में लेने के स्थान पर अधीनस्थ राज्य बनाने की व्यावहारिक रणनीति का प्रयोग किया। तुर्कों के उत्तर भारत की विजय की ही भांति दक्षिण भारत पर अलाउद्दीन की सफलता के कारणों में काफी हद तक समानता थी। ये कारण निम्नलिखित हैं-

1. उत्तर भारत पर तुर्की आक्रमण के समय की ही भाँति तत्कालीन दक्षिणी भारत भी कई राज्यों में बंटा हुआ था। देवगिरि, तैलंगाना, होयसल और पाण्ड्य राज्य प्रमुख शक्तियाँ थी। इसके अतिरिक्त इन राज्यों के शासकों में परस्पर वैमनस्य भी चरम पर था।

2. तीन ओर समुद्र और उत्तर में विन्ध्याचल और नर्मदा ने दक्षिण के राज्य का उत्तर भारत से पृथक्कीकरण कर रखा था, जिससे उत्तर भारत की राजनीति में आने वाले प्रत्येक छोटे- बड़े परिवर्तनों से वे बचे रहते थे।

3. दक्षिण भारत के उत्तर भारत से सुरक्षित होने के कारण यहाँ के शासकों, नगरों और मंदिरों आदि में धन का भी संकेन्द्रण था, जिसने अलाउद्दीन और बाद के तुर्की आक्रान्ताओं को आक्रमण के लिए आकर्षित किया। लूट का लालच और इस्लाम के आधार पर एकता व समानता की भावना दक्षिण भारत में विजित करने में सफलता का मूल कारण सिद्ध हुई।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सल्तनतकालीन सामाजिक-आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- सल्तनतकालीन केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में प्रांतीय शासन प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  5. प्रश्न- सल्तनत के सैन्य-संगठन पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत काल में उलेमा वर्ग की समीक्षा कीजिए।
  7. प्रश्न- सल्तनतकाल में सुल्तान व खलीफा वर्ग के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  8. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  9. प्रश्न- मुस्लिम राजवंशों के द्रुतगति से परिवर्तन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजतंत्र की विचारधारा स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के स्वरूप की समीक्षा कीजिए।
  12. प्रश्न- सल्तनत काल में 'दीवाने विजारत' की स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  13. प्रश्न- सल्तनत कालीन राजदरबार एवं महल के प्रबन्ध पर एक लघु लेख लिखिए।
  14. प्रश्न- 'अमीरे हाजिब' कौन था? इसकी पदस्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  15. प्रश्न- जजिया और जकात नामक कर क्या थे?
  16. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में राज्य की आय के प्रमुख स्रोत क्या थे?
  17. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन भू-राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में सुल्तान की पदस्थिति स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन न्याय-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- 'उलेमा वर्ग' पर एक टिपणी लिखिए।
  21. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों में सल्तनत का विशाल साम्राज्य तथा मुहम्मद तुगलक और फिरोज तुगलक की दुर्बल नीतियाँ प्रमुख थीं। स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- विदेशी आक्रमण और केन्द्रीय शक्ति की दुर्बलता दिल्ली सल्तनत के पतन का कारण बनी। व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- अलाउद्दीन की प्रारम्भिक कठिनाइयाँ क्या थीं? अलाउद्दीन के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि उसने इन कठिनाइयों से किस प्रकार निजात पाई?
  24. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार व बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण विजय का विवरण दीजिए। उसकी दक्षिणी विजय की सफलता के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  27. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की विजयों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'खिलजी क्रांति' से क्या समझते हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  30. प्रश्न- खिलजी शासकों के काल में स्थापन्न कला के विकास पर टिपणी लिखिए।
  31. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का एक वीर सैनिक व कुशल सेनानायक के रूप में मूल्याँकन कीजिए।
  32. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
  33. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजनीति क्या थी?
  34. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  35. प्रश्न- अलाउद्दीन की हिन्दुओं के प्रति नीति स्पष्ट करते हुए तत्कालीन हिन्दू समाज की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजस्व सुधार नीति के विषय में बताइए।
  37. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का प्रारम्भिक विजय का वर्णन कीजिये।
  38. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की महत्त्वाकांक्षाओं को बताइये।
  39. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधारों का लाभ-हानि के आधार पर विवेचन कीजिये।
  40. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की हिन्दुओं के प्रति नीति का वर्णन कीजिये।
  41. प्रश्न- सूफी विचारधारा क्या है? इसकी प्रमुख शाखाओं का वर्णन कीजिए तथा इसके भारत में विकास का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों, विशेषताओं और मध्यकालीन भारतीय समाज पर प्रभाव का मूल्याँकन कीजिए।
  43. प्रश्न- मध्यकालीन भारत के सन्दर्भ में भक्ति आन्दोलन को बतलाइये।
  44. प्रश्न- समाज की प्रत्येक बुराई का जीवन्त विरोध कबीर के काव्य में प्राप्त होता है। विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- मानस में तुलसी द्वारा चित्रित मानव मूल्यों का परीक्षण कीजिए।
  46. प्रश्न- “मध्यकालीन युग में जन्मी, मीरा ने काव्य और भक्ति दोनों को नये आयाम दिये" कथन की समीक्षा कीजिये।
  47. प्रश्न- सूफी धर्म का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा।
  48. प्रश्न- राष्ट्रीय संगठन की भावना को जागृत करने में सूफी संतों का महत्त्वपूर्ण योगदान है? विश्लेषण कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी मत की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के प्रभाव व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  51. प्रश्न- भक्ति साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
  53. प्रश्न- भक्ति एवं सूफी सन्तों ने किस प्रकार सामाजिक एकता में योगदान दिया?
  54. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के कारण बताइए
  55. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की क्या दशा थी? इस काल की एकमात्र शासिका रजिया सुल्ताना के विषय में बताइये।
  56. प्रश्न- "डोमिगो पेस" द्वारा चित्रित मध्यकाल भारत के विषय में बताइये।
  57. प्रश्न- "मध्ययुग एक तरफ महिलाओं के अधिकारों का पूर्णतया हनन का युग था, वहीं दूसरी ओर कई महिलाओं ने इसी युग में अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज करायी" कथन की विवेचना कीजिये।
  58. प्रश्न- मुस्लिम काल की शिक्षा व्यवस्था का अवलोकन कीजिये।
  59. प्रश्न- नूरजहाँ के जीवन चरित्र का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। उसकी जहाँगीर की गृह व विदेशी नीति के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  60. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की दशा कैसी थी?
  61. प्रश्न- 1200-1750 के मध्य महिलाओं की स्थिति को बताइये।
  62. प्रश्न- "देवदासी प्रथा" क्या है? व इसका स्वरूप क्या था?
  63. प्रश्न- रजिया के उत्थान और पतन पर एक टिपणी लिखिए।
  64. प्रश्न- मीराबाई पर एक टिप्पणी लिखिए।
  65. प्रश्न- रजिया सुल्तान की कठिनाइयों को बताइये?
  66. प्रश्न- रजिया सुल्तान का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  67. प्रश्न- अक्का महादेवी का वस्त्रों को त्याग देने से क्या आशय था?
  68. प्रश्न- रजिया सुल्तान की प्रशासनिक नीतियों का वर्णन कीजिये?
  69. प्रश्न- मुगलकालीन आइन-ए-दहशाला प्रणाली को विस्तार से समझाइए।
  70. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व का निर्धारण किस प्रकार किया जाता था? विस्तार से समीक्षा कीजिए।
  71. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व वसूली की दर का किस अनुपात में वसूली जाती थी? ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर क्षेत्रवार मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व प्रशासन का कालक्रम विस्तार से समझाइए।
  73. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व के अतिरिक्त लागू अन्य करों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान मराठा शासन में राजस्व व्यवस्था की समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- शेरशाह की भू-राजस्व प्रणाली का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  76. प्रश्न- मुगल शासन में कृषि संसाधन का वर्णन करते हुए करारोपण के तरीके को समझाइए।
  77. प्रश्न- मुगल शासन के दौरान खुदकाश्त और पाहीकाश्त किसानों के बीच भेद कीजिए।
  78. प्रश्न- मुगलकाल में भूमि अनुदान प्रणाली को समझाइए।
  79. प्रश्न- मुगलकाल में जमींदार के अधिकार और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- मुगलकाल में फसलों के प्रकार और आयात-निर्यात पर एक टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- अकबर के भूमि सुधार के क्या प्रभाव हुए? संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  82. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व में राहत और रियायतें विषय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- मुगलों के अधीन हुए भारत में विदेशी व्यापार के विस्तार पर एक निबंध लिखिए।
  84. प्रश्न- मुग़ल काल में आंतरिक व्यापार की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण कीजिए।
  85. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापारिक मार्गों और यातायात के लिए अपनाए जाने वाले साधनों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- मुगलकाल में व्यापारी और महाजन की स्थितियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- 18वीं शताब्दी में मुगल शासकों का यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  88. प्रश्न- मुगलकालीन तटवर्ती और विदेशी व्यापार का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  89. प्रश्न- मुगलकाल में मध्य वर्ग की स्थिति का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  90. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार के प्रति प्रशासन के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  91. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार में दलालों की स्थिति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  92. प्रश्न- मुगलकालीन भारत की मुद्रा व्यवस्था पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  93. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान बैंकिंग प्रणाली के विकास और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान प्रयोग में लाई जाने वाली हुण्डी व्यवस्था को समझाइए।
  95. प्रश्न- मुगलकालीन मुद्रा प्रणाली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- मुगलकाल में बैंकिंग और बीमा पर प्रकाश डालिये।
  97. प्रश्न- मुगलकाल में सूदखोरी और ब्याज की दर का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  98. प्रश्न- मुगलकालीन औद्योगिक विकास में कारखानों की भूमिका का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- औरंगजेब के समय में उद्योगों के विकास की रूपरेखा का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- मुगलकाल में उद्योगों के विकास के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों के पद और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान कारीगरों की आर्थिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- 18वीं सदी के पूर्वार्ध में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रवृत्ति की व्याख्या कीजिए।
  103. प्रश्न- मुगलकालीन कारखानों का जनसामान्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
  104. प्रश्न- यूरोपियन इतिहासकारों के नजरिए से मुगलकालीन कारीगरों की स्थिति प

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